Wednesday, November 20, 2013

अण्णा के भालू बंदर और रामलीला

आजकल की हॉट खबर अण्णा के बच्चे अनुगामियों की अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पैसे उगाही और उसका हिसाब है । हालांकि वैसे तो अण्णा कहते है कि उन्हे अरविंद कि ईमानदारी पर भरोसा है लेकिन ?यही लेकिन सारी फसाद कि जड़ है दोनों लोग आपस मे एक दूसरे पर भरोसा करते है लेकिन उनके खामखा के पिछलगुओ को भारी ऐतराज है ।मई बता दूँ कि मेरा अण्णा या आप पार्टी के प्रति कोई विश्वास नहीं है लेकिन अपने चारो तरफ चलने वाले तमाशे पर विचार करना और लिखना मेरी ज़िम्मेदारी बनती है । जब कहा जा रहा है कि अण्णा आंदोलन के समय उगाहे गए पैसे के हिसाब अरविंद को देना है जबकि आप पार्टी का कहना कि वो हिसाब आयकर विभाग को दे चुके हैं लेकिन आयकर विभाग का काम कुछ छुटभैये नेताओ ने संभाल लिया है कभी बात चंदे कि कभी उस आंदोलन के समय जारी सिम कार्ड की कमाई  की बात उठाई जा रही है । जब हिसाब आयकर विभाग को दिया जा चुका है तो इन खुदाई खिदमत गारों को क्यों खुजली मची है सही बात कुछ और है । आप पार्टी का चुनाव के सर्वे मे आने वालयीन सूचनाओं से अण्णा और उनके खाली दरबारियों के पेट मे दर्द होने लगा है । जब अरविंद ने आम आदमी पार्टी बनाई थी   तभी अण्णा ने उनके नाम को भुनाने की मनाही कर दी थी । आप ने मन भी लिया अण्णा को ये विश्वास था की उनके बिना आप का कुछ खास नहीं कर पाएगी लेकिन उसकी पेरफ़ोर्मेंस देख कर उन्हे अपने को अकेला छोड़ दिये जाने का अहसास हो रहा है । जो उन्हे पच नहीं रहा है और उस मे उनके अड़ोस पड़ोस मे खाली बैठे कार्यकर्ताओं को काम मिल गया । जिस रामलीला मैदान के आंदोलन का सम्मोहन अण्णा के दिमाग मे बैठा हुआ है वे उससे बाहर नहीं निकल पा रहें हैं अपने कट आउट व्यक्तित्व की आभा मे फंस कर गए हैं उनका खयाल है की रामलीला मैदान उनोहोने मारा तो उनकी गलत फहमी है जैसा अग्रेसिव केंपेन इंटरनेट पर चला था और देश विदेश के एलीत ने उसमे सहयोग दिया था उसमे अण्णा की स्थिति केवल झण्डाबरदार की थी किरण बेदी प्रशांत भूषण जैसे दर्जनो लोगो की पहचान ने उसे आसमान तक पाहुचाया था अरविंद के मीडिया मैनेजमेंट के बिना काही कुछ भी होना मुश्किल था ।और इस बात को अण्णा पचा नहीं पा रहे हैं अण्णा की स्थिति परिवार के उस मुखिया जैसी है जो अपने बच्चो को बड़ा होते तो देखना चाहता है लेकिन हर समय अपना कद बड़ा है की डिमांड है । अण्णा का सीडी प्रकरण हो या चिट्ठी सब बारात के उन बुधधों का तमाशा है जो बच्चो के अच्छे इंतजाम को इञ्जोय तो करते हैं लेकिन उनकी सलाह के बिना काम करने वाली औलादों को सबक भी सिखाना चाहते है ऐसे समय परिवार और पड़ोस के वे व्यक्ति जो खुद कुछ उपलब्धि न कर पाएँ हो वे अपनी भड़काऊ भूमिका भली प्रकार निभाते हैं । जिंका खयाल यह होता है की उन्हे जो कुछ भी नहीं मिला है तो दूसरे को क्यों मिले ?अगर हम खुस नहीं हो सकते तो दूसरे की हँडिया लुढ़का तो सकते ही हैं वरना abvp के कार्य कर्ता को अण्णा की चिंता उस पैसे के लिए हो रही है जिसका हिसाब दिया जा चुका है । रामलीला मैदान के पहले और अरविंद के आप पार्टी बनाने के बाद अण्णा के करिश्मे का क्या हुआ कहाँ करोड़ो लोग थे कहाँ वीकेसिंह के साथ के बावजूद 25 लोग की मीटिंग ?अण्णा जैसे कितने ही अकतीविस्त महा राष्ट्र  मे अनेक है रामलीला मैदान टीम वर्क का नतीजा था सिर्फ अण्णा के जादू का नहीं लंका पर चढ़ाई भालू बंदर और रीछो के बिना राम चंद्र जी भी नहीं कर पाये थे अण्णा क्या है?

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