Thursday, September 19, 2013

सेकुलर भारत की सेकुलर कारवाई

संविधान कहता कि हमारा महान भारत सेकुलर है । पिछले एक दशक से सामान्य जनता बिना केट गरी  वाली सभी सरकारो कि तुष्टि करण कि नीतियो कि आलोचना करती रही है ,मौके मौके विरोध भी करती रही है । बार बार हर बार बराबरी का दावा करने वाली सरकारे कितनी बराबरी  की पक्षधर है जानना बहुत जरूरी हो गया है । जिस तरह से हर प्रदेश की सरकार अल्प संख्यक मत दाताओ को लुभाने के लिए हर दिन नई योजनयों की घोषणा कर रही है उससे लगता है कि उन्हे बहू संख्यक मतदाताओं के वोटो कि आवश्यकता ही नहीं है या फिर
उनकी जरूरतों का जिम्मा मौजूदा सरकारो का नहीं है ।अँग्रेजी  की पत्रिका इंडिया टूड़े के सर्वे क्षण  के अनुसार देश के 9 प्रांत मुस्लिम अल्प संख्यकों के लिए कई हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही है जिनमे कब्रिस्तानों की देखभाल कर्जे नौकरी शिक्षा के साथ इमामो और बच्चो को वजीफा देती है। इसमे हज को जाने वाली जायरिनो को दी जाने वाली सबसिडी  शामिल नहीं है । बहू संख्यकों की बात छोड़कर हम अल्प संख्यकों के अन्य समुदायों की बात करें जिनके लिए शायद ही कोई योजनाए चल रही हों तो उसका जिक्र किसी सर्वे क्षण मे नहीं मिलता क्योंकि ऐसी योजनाए  न के बराबर  है या तो स्थानीय स्तर पर होंगी  जिंका जिक्र सामान्यतया  नहीं मिलता है । अब अगर देश के सभी नागरिक समान अधिकार प्राप्त हैं तो दो  तरह का बर्ताव क्यौं हैं ? यह जवाब अब सामान्य श्रेणी के नागरिकों को देना ही पड़ेगा । देश मे इस श्रेणी मे योग्यता के बावजूद बदती बेरोजगारी  हर प्रांत के लिए बड़ा सवाल बन रही है ।इलाहाबाद मे आरक्षण विरोधी आंदोलन को हल्के मे नहीं लिया जा सकता है ।अल्प स्ंखयक के लिए बनाई गई योजनाए शिक्षा के वजीफो को छोड़ दे तो कल्याण के नाम पर
ज्यादा धन राशि धार्मिक कार्यो या योजनायों  के लिए है विकास या उद्योगो के लिए नहीं । सबसे बुरी या दुख  की बात यह है कि मुस्लिम  महिलाओ के लिए किसी योजना का जिक्र नहीं मिला ना उनकी शिक्षा  के लिए ना
नौकरी या उद्योग के लिए हाँ शादी के नाम पर जरूर योजना है । क्या यह संविधान का खुला उलंघन नहीं है ? इस पर बात कि जानी चाहिए । साफ जाहिर है कि यह योजनाए प्रदेश सरकार या केंद्र सरकारों कि नहीं पार्टी
लाइन के द्वारा तय कि गई है जनता कि गाढ़ी कमाई के पैसे से वोट खरीदने कि जुगत लगाई गई है । अभी भी समय है कि स्थिति को सुधारा जाय जहां बहू संख्यक  अपने साथ हुई नाइंसाफी के लिए नाराज है वही अल्प संखयकों को भी दूरगामी फायदे नहीं मिलने  जा रहे केवल  वोट तक लोलीपॉप  है । 

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