Thursday, September 5, 2013

अलग अलग मुखोटे पर अपराध ?और दंड ?

आज का समाचार है आसाराम ने जेल मे प्रवचन दिया मुंबई मे शक्ति मिल मे हुए गेंग रेप पीड़िता  के समर्थन मे आना  लखनऊ मे एक जनमदाता पिता और रक्षक भाई द्वारा 9 साल से रेप किया जा रहा था । गोपाल कांदा का जमानत पर रिहा होना । समाज का बड़ा तबका भोचक है की काही से कभी भी होने वली घटनाओ का सामना अपनी निजी ज़िंदगी मे कैसे करे । ज़ीरो टोलरंस की इस आपाधापी  की ज़िंदगी मे कैसे फिट करे । दिक्कत यह है की हर घटना को देखने का चश्मा हर बार बदला होता है ।घटना के कारण वहीं होते हैं लेकिन उन्हे देखने की इजाजत हर बार समान नहीं होती है । विदेशी लड़की के साथ रेप का निपटारा 17 दिन मे हो सकता है और आशियाना की नौकरानी का केस 13 बरस बाद भी अपराधी की उम्र तय की जा रही है । सारी मोमबत्तियों का मोम पिघल गया लेकिन जिनहे घटना को मुकदमे मे बादल कर सजा सुनना था उनके पास तारीख है  और पेरवी हो जय तो निर्णय सुरक्षित कितनी उपहास की बात है जिन लड़कियों को सुरक्षित रखने का वादा हम करते है संविधान हक देता है उन पर होते जुर्म से हमउन्हे बचना तो दूर न्याय दिलाने की छो टी प्रक्रिया  मे कभी तारीख नहीं होतीकभी फैसला सुरक्षित हो जाता है । जमानत पर सालो साल अपराधी मज़े करता है और पीड़िता की ज़िंदगी नर्क बन जाती है ।

No comments:

Post a Comment