Wednesday, June 26, 2013

दिल्ली की सड़कें राज किसका?

अभी उतराखंड की त्रासदी केई जख्म  खुले एचआई हैं। उस पर कश्मीर एमई सेना के जवानो पर हमला
घटना की खबर  अभी चल हीरही थी की फिर से उतराखंड  मेहेलीकाप्टर क्रैश की त्रासदी और बीस
 लोंगों की मौत की सूचना ।एसएआरए देश सदमे मे हैं जिनहोने अपनों को खोया है उनके दुख की टीओ सीमा
 ही नहीं है बाकी समाज भी त्रासदी से दुखी है । ऐसे मे आधी रातमे  दिल्ली सड्को पर ट्रेफिक रोककर मोटर
 साइकल सवारों का हुडडौंग घंटो चला लगही  नहीं रहा था किदेश मे कोईशासन नाम कि व्यवस्था बची
  गूंगी लाचार पुलिस और  बेखौफ हूड़द्ंगी । शबेबरात का जशन का मतलब गुंडई तो नहीं  एचओ सकती
  है । यह कानून शासन ही अपमान उस पैगंबर का भी अपमान है । दुनिया मे    भाईचारा को  धर्म से जोड़ने
  वाले के जन्मदिन पर संवेदनहीनता  हजारो लोग मर गए कितने घायल पूरा देश सदमे है। ऐसे समय
उत्सव है मनाना ही चाहिए लेकिन ऐहितियात के  साथ । हम अभी भी समाज मे  रहते है  और ईके दूसरे
का दुख दर्द अपनाना  होता है । पूरी दुनिया  ने टोपी पहने  सवारों का हूड़ दुंग देखा । शर्म की बड़ी बात तो
 यह है कि गली मोहल्ले  कि बात पर फतवा बाटने वाले आंखो पर  पट्टी बांधे सो रहे है कोई सेकुलर  नेता
 बयान देने  प्रैस तक। नहीं पहुचा । क्या हम  येही समाज [अपने लिए चाहते है?ऐसा समाज़ हम
अगलीपीढ़ी के लिए छोड़ जाना चाहते है?हम अपने  बड़ो को ऊपर जाकर क्या मुह दिखाएंगे?देश के दुख काल
 मे यह बर्ताव देसद्रोह ना सही शांति भंग तो कर रहे थे फिरपुलिस कि ना लठियाँ निकली ना आँसू गॅस नाही
  गोलियांक्या  यह  वही पुलिस है रेप पीडित के लिए धरना देने वाले शान्ति से प्रदर्शन करनेवालों पर कहर
 ढाने वाली?सारे दिन नीरज कुमार काइंतज़ार किया ख़बर भी गायब हो गई और बयानबाज़ भी ।





 

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