Sunday, June 23, 2013

केदारनाथ क्यों किया अनाथ

लगभग 10 दिन हुए उतराखंड मे प्रलय हुए  भक्ति भावों से ओतप्रोत जो लोग हजारों मीलचल कर आए
हर हर महादेव के नारे लगाते वापस आते किसी के मुह से भगवान का नाम नहीं था ।शिकवे थे राज्य
 सरकार के खिलाफ केंद्र सरकार के खिलाफ  भूख प्यास दर्द सब याद था बस भगवान नहीं याद था ।
 तीर्थ यात्रा का मतलब हर धर्म एक ही माना जाता है बाकी सारी खिलाफ़तों के बावजूद की । जब आदमी
 अपनी सारी दुनियावी सारी जिम्मेदारियाँ पूरी करले किसी का कोई कर्ज चुकाना न हो किसी से कुछ लेना
 भी न हो अगर कोई कर्ज़ नहीं चुका प रहा है तो उसे माफ किए बिना तीर्थयात्रा पर नहीं जा सकते है । यह
 सामाजिक नियम धार्मिक नियम था है अभीभी लेकिन लोग अब तीर्थ नहीं टूरपर जाते हैं अंजान बच्चे
और जवान औरत मर्द सबको जल्दी है और अपनी सुविधा से धर्म को तोड़ मोड लिया । किसी भी पुरानी
बात के पीछे कुछ तत्व होता है आज से 10 साल पहले तक लोग 50 की उम्र तक एकाध बच्चे की शादी
के बाद माँ बाप को तीर्थ कराने ले जाते थे कोई युवा गया साथ देने को । लेकिन अब दिल्ली हरियाणा मे नई
गाड़ी आ गयी तो पूरा परिवार बद्रीनाथ पिकनिक पर वीक एंड मनाने चल देता है येही हाल देहारादून
के आसपास के शहर के लोगो की आउटिंग ऐसे ही होती है । ऐसे ही पर्यटनसे मसूरी का पहले सत्यानास हो
चुका था vaisnodevi मे अगर आर्मी का इंतजानहीं होता तो वहाँ परभी यही हल होता अगर समय रहते
अमरनाथ की यात्रा मे भक्तो की संख्या तय नहीं की गयी तो यह मंजर सालाना मौसम बनाने मे देर नहीं
होगी सरकार भी यात्रा से पैसा कमाने की जुगाड़ तो कर लेते है लेकिन सुविधाओ पर ध्यान नहीं दिया जाता
7 साल पहले हम भी केदारनाथ बद्रीनाथ गए थे उस समय ही अनियंत्रित भीड़ प्लास्टिक का कचरा गाड़ियों का शोर मानवमलमूत्र की बदबो प्रकृति के सनिध्यका आनंद भुला दे रहे थे पंडो के नाम अनपढ़ किस मे पंडित
की भीड़ यात्रियो को धर्म से ज्यादा जेब का ध्यान देने को विवश कर रहे थे ।अनिध कृतहोटल और घरो का निर्माण पेड़ो की कटाई पहाड़ो का जबरन उत्खनन सारा माहोल किसी विपत्ति को निमंत्रण दे रहा था । अबभी सरकार धार्मिक यात्रा प्राकृतिकपर्यटन को अलग अलग नजरिये से देखना ही होगा तभी      कुछ नियंत्रण   
मे आ सकेगा । जो तकलीफ मे है उनके दुख मे हम सब शामिल है । आगे की ओर भी देखना जरूरी है।
 

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