Thursday, October 24, 2013

भयमुक्त या भयभीत डेमोक्रेसी

हर तरफ मोदी को लेकर चर्चा है पक्ष मे कम विरोध मे अधिक है बहुत चिंता है सबको देश की ऐसा कहते है कल टीवी  चैनल पर डिग्गी राजा विराजमान थे प्रोग्राम घोषणा पत्र था लेकिन चर्चा मोदी पर अटकी रही है । वैसे भी उनकी सुई मोदी पर अटकी है मुझे तो लगता है उन्हे अगर कल कब्ज हो जाए कहीं वे उसके लिए  भी वे मोदी  को  जिम्मेदार न ठहरा दे । दिग्विजय  सिंह ने कहा कि सवाल गवेर्नंस या विकास का है ही नहीं बात आइडिया लोजी  का है हमे उसकी चिंता है । विचित्र  बात है कि  जनता सरकार  प्रशासन  के लिए  विकास  के लिए चुनती है कि  आइडिया लोजी  के लिए भूखे नंगे आश्रय विहीन के लिए सिद्धांत किस कम का ? 60 साल के सिद्धांत के शासन ने  जनता को सिद्धांत के भाषण ही तो दिये है कश्मीर कि समस्या हो खलिस्तान और नक्सल वाद सारे सिद्धांत कांग्रेस के इसी सिद्धांत के कारण ही जन्मे है । अगर सिद्धांत का ढोंग छोड़कर कांग्रेस ने सही जगह पर विकास और अवसर पर शासन किया होता तो आज हमारा देश  भूखे नंगों कुपोषितों कि लिस्ट  मे  ऊपर नहीं होता लेकिन अभी भी कांग्रेस बाकी बचे काम को पूरा करने के बजाय  ज्ञान बघारने मे लगी   है । जिससे साफ जाहिर है कि उन्हे सत्ता के अलावा  किसी बात से कोई मतलब नहीं । सबसे घटिया बात तो उनकी हर समय पूरे देश का मुक़ाबला एक प्रांत गुजरात से करने की है अगर मुक़ाबला  करना ही है तो कांग्रेस शासित राज्य की  उपलब्धियों से करते तो समझ  मे भी आती  लेकिन लगता है कि कोई भी कांग्रेस शासित प्रांत गुजरात के मुक़ाबले लायक नहीं है ? इससे ही इस दल कि कमजोरी जाहिर होती है । सबसे ज्यादा दुख और क्षोभ  कल राहुल गांधी का स्यापा  सुनकर हुआ अपनी उपलब्धियों की चर्चा करने के बजाय परिवार का स्यापा करने लगे उन्हे याद रखना चाहिए कि चीन और कश्मीर के युद्ध मे कितने ही परिवारो  कि कई पीढ़ियाँ समाप्त हो गई थी आज भी कश्मीर मे रोज मारे जाने वाले जवानो कि मृत्यु कि ज़िम्मेदारी कांग्रेस कि गैर जिम्मेदार सरकार के सर पर है जिसकी बागडोर उनही  के हाथो है क्या इन आरोपो को कांग्रेस या गांधी परिवार ठुकरा सकता है पद पर बने बिना बागडोर अपने हाथो रखना दायांतदारी नहीं बेइमानी है कि जिसे गंवाई भाषा मे मीठा मीठा गप्प कड़वा कड़वा थू । जो भी अच्छा हो वो राजमाता और युवराज की करनी और जो गलत हो जाय तो ज़िम्मेदारी से हाथ धोकर  निकल लिए । तो कहने की बात है डिग्गी साहब आप हमे शासन विकास भी चख लेने दीजिये  सिद्धांत  से तो  भर पाये। 

1 comment:

  1. मोदी जी का शासन या विकास क्या हैं यह दो घटनाओ से स्पष्ट हैं ---- पहला उनके गृह मंत्री हारें पाण्ड्य की रहस्यमय स्थितियो मे हत्या हो जाती हैं , जो की पार्टी मे उनके बहुत बड़े प्रतिद्वंदी थे | उनकी पत्नी मोदी पर षड्यंत्र का आरोप लगते हुए सीबीआई से घटना की जांच की मांग करती हिन आज भी कर रही हैं परंटी मोदी जी ने उस मांग को ठुकरा दिया | क्यों ? इसलिए की वे गैर पटेल लोब्बे के सबसे बड़े नुमायान्दे थे ,इसलिए ? दूसरा जो आदमी भ्रस्ताचर की बात करता हैं उसे प्रदेश मे लोकयुक्त की मान्य परंपरा से नियुक्ति से दर क्यो लगता हैं ? परंपरा जो बीजेपी शासित राज्यो मे भी लागू हैं एमपी -छतीसगरह मे की नियुक्ति त्रि -सदस्यीय समिति करती हैं जिसमे मुख्य मंत्री - विधान सभा मे नेता प्रति पुच और राज्य के उच्चा न्यायालया के मुख्य न्यायडिश होते हैं | परंतु मोदी ने न केवल नियुक्ति का अधिकार मुख्य मंत्री के पास रखा वरन उसकी रिपोर्ट को ''सर्वथा''' गोपनीय रखा | जबकि परंपरा हैं की लोकयुक्त की रिपोर्ट सदन के पटल पर राखी जाती हैं क्योंकि वह '''सार्वजनिक''' प्रपत्र होता हैं | जैसा की सभी जगह होता हैं | अगर यही परिपाटी केंद्र मे आफ्नै जाये तो सी ए जी और सीवीसी की रिपोर्ट लोक सभा मे रखने की ज़रूरत ही नहीं होगी | तब सरकार का भरास्ताचर ''ढके - मूँदे''' रहेंगे तब क्या वह सही होगा ? दूसरा गुजरात के विकास माडल की बात होती हैं ---- वह हैं क्या ? किसी को मालूम हैं ? न तो उसके संकेतक - क्या होंगे अथवा उपलब्धियों को नापने का आधार क्या होगा इसका कनही ज़िक्र हैं क्या ? आज तक मुझे तो नहीं दिखाई पड़ा ? अब बताओ की की क्या सही हैं

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