खाद्य सुरछा बिल आखिर अध्यादेश के रूप मे हिंदुस्तान की गरीब जनता के लिए सोनिया मातालेही आयी । कब से गरीब भूखों ने उनकी नींद उड़ा रखी थी सारे घोटाले और संप्राद्याईक्ता का हल्ला आखिर चुनाव मे कितनी दूर तक साथ देती । कब तक राजकुमार पीएम इन वेटिंग बने रहेंगे आखिर उनको भी तो सेटल होना है । कब तक सन्यासी राजकुमार की छवि का जादू चलता रहेगा । अब तो लड़कियां भी देख कर आहें नहीं भरती एवजी वाली कुर्सी का कब तक भरोसा किया जा सकता है । अब सरदार जी रिटायर्ड आदमी है अपनीलाइफ इञ्जोय कर रहें है लेकिन मन का क्या कहीं सरकार चलाने का हो जायतो कंट्रोल करना मुश्किल हो जाएगा । अब गरीब तक वैसे ही खाना पहुंचेगा जैसे मिड डे मील बच्चो तक पहुंचा । आशा बहू ने स्वास्थ्य सेवाए ग्रामीण औरतों तक पहुंचाई एनआरएचएम ने स्वास्थ्य की देखभाल की राइट तो एडुकेशन ने सारे बच्चो को स्कूल पहुंचा दिया वैसे ही यह अध्यादेश सब भूखों का पेट भर देगा । यो सरकार अगर खुले मे खरीदा हुआ अनाज सड़नेसे बचा कर गरीबो तक पाहुचा देने की व्यवस्था कर देती तो भी यही कामहो जाता बस यूपीए सरकार और सोनिया माता के दिल का दर्द गरीबो तक कैसे पहुंचता और चनाव मे फांसी गाड़ी कैसे निकलती । अब 2रु किलो गेहूं और 3रु किलो चावल के सपने तो के साथ भूखा सो जाएगा और चुनाव मे मोहर लगाने के बाद ही जागेगा जब वो भूख लगने पर केवल वादा पाएगा खाना नहीं । सरकार ने केवल भूख मिटाने का वादा ही तो किया है और हिन्दी फिल्मे सिखाती हैं कि वादे तो किए ही तोड़ने के लिए जाते हैं समझे ।
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